abu obaida कानपुर.snn.आज कल कानपुर में अपहरण की वारदातों में इजाफा हो गया है ,ज्यादातर घटनाएं हाइवे किनारे या गाँव के बाहर हो रही हैं .ख़ास बात ये की इसमें पीड़ित से फिरौती भी नहीं मांगी जाती यही कारण है की दुखी परिवार ज्यादा शोर नहीं करता और अपहरण कर्ता किसी और से पैसे वसूल कर मौज करते है .क्या किया जाये ?बकरी बकरे का मालिक ज्यादा बवाल तो नहीं कर सकता न .जी हाँ हम बात कर रहे हैं बकरा बकरी के अपहरण की जिसमे कई गैंग लाखों के वारे न्यारे कर रहे हैं और पुलिस पर बरामदगी का कोई दबाव भी नहीं .इस कमाई का तरीका भी ज़रा यूनीक है ,इसके लिए किसी हथियार की ज़रुरत नहीं पड़ती और पुलिस का डर भी नहीं बस एक अच्छी सी कार चाहिए .
पढने में अजीब लगा होगा मगर यकीन मानिए ये बहुत बड़ा धंधा है जिसमे रोज़ पचासों हज़ार के वारे न्यारे हो रहे हैं महीने भर में ये रकम बिना पुलिस से डरे लाखों में होजाती है.इस अनोखे धंधे में लिप्त एसी कार में बैठे लोग हाइवे पर आराम से घुमते हैं गाँव के बाहर गाडी पार्क करते हैं जैसे ही कोई बकरा देखते हैं उसे पुचकार कर पास बुलाते हैं और फिर गाडी में डाल कर चम्पत हो जाते हैं बकरा मालिक सारा दिन गाँव में खोजता है फिर थक हार कर सो जाता है वहीँ चोरों के हाथ इस तरह औसतन रोज़ चार बकरे लग गए यो हो गया पच्चीस से तीस हज़ार का काम .जानकारी मिली है की कानपुर में कुछ लोग गैंग बना कर कई गाड़ियों से सवेरे शहर के बाहर निकल पड़ते हैं और रेवड़ से भटके बकरे का इंतज़ार करते हैं मौक़ा मिलते ही उसे ले कर आगे बढ़ जाते हैं गाडी में बाकायदा चारा और हरे पत्ते रहते हैं जिस से बकरा शोर भी नहीं मचाता और रस्ते में कोई पूछता भी नहीं आम तौर पर लोग सझते हैं घर का पला बकरा है साहब लोग फार्म हॉउस या अपने गाँव से शहर ले जा रहे होंगे .ये वारदातें आम तौर पर स्कार्पियो या उसी तरह की ऊंची गाड़ियों से होती है .ये गैंग रोजाना औसतन १० बकरे चुरा कर चालीस से पचास हज़ार रूपये कमा रहे हैं .एसा ही मामला आज चकेरी पुलिस के सामने आया जिसमे रामा देवी के पास चकेरी क्रासिंग पर एक इंडिका कार में सवार लोगों ने बकरी को गाडी में लाद लिया मगर मालिक ने देख कर शोर मचाया और गाँव वालों की मदद से दौड़ा कर गाड़ी पकड़ ली .चोर को जम कर पीटा और पुलिस के हवाले कर दिया .हालंकि गाडी से चालाक ही पकड़ में आया बाक़ी दो से तीन लोग भाग निकले .पुलिस पकडे गए चोर से पूछताछ कर रही है अब देखते हैं पूछताछ के आधार पर कितना बड़ा गैंग सामने आता है और पुलिस कैसे इसे कैसे बेनकाब करती है .