abu obaida 98380 33331 snn नवम्बर २०१४ में दहशत का पर्याय बनी बाघिन ने कानपुर गंगा तट पर बसे क्न्ह्वापुर गांव में कल रात नील गाय को अपना निवाला बना कर एक बार फिर से लोगों को खौफज़दा कर दिया .खेतों पर रखवाली करने वाले किसानो ने रात नील गाय के चिल्लाने की आवाजें सुनी और अन्धेरा छंटने पर गीली मिटटी में शेर के पंजों के निशान देखे वहीँ जगह जगह खून के धब्बों से अंदाजा लगाया की शेरनी कटरीना एक बार फिर से कटरी में वापस आ गयी है .बता दें की बीते साल नवम्बर में कटरीना बाघिन नवाबगंज के गंगा कटरी इलाकों में देखि गयी थी तब उसने कई जानवरों को अपना निशाना बनाया था संयोग से किसी इंसान को इस बाघिन से हानि नहीं पहुची थी .इस बाघिन को पकड़ने के लिए वन विभाग ने लाख जतन किये ,जगह जगह जाल और पिंजरे लगाए ड्रोन कैमरों से खोज की मगर उसे पकड़ पाने में नाकाम रहा .वन विभाग ने शेर की पुष्टि भी की थी और कई माहिर शिकारियों को उसे पकड़ने या मारने के लिए बुलाया था पर किसी को कामयाबी नहीं मिल सकी थी हाँ अँधेरे में काम करने वाले इन्फ्रारेड कैमरे में उसकी तस्वीर ज़रूर मिली थी .लगातार कई महीनी चले सर्च आपरेशन में पांच करोड़ के आस पास खर्च भी हुआ लेकिन कटरीना हत्थे नहीं लगी .अंतिम बार उसे अप्रैल २०१५ में देखा गया था जिसके बाद वो जंगलों में कहीं गाएब हो गयी थी .काफी दिनों बाद जब वन विभाग ने उसके कानपुर से चले जाने की घोषणा की तो कटरी में लोग आहिस्ता आहिस्ता भयमुक्त हो कर खेतों में काम पर जाने लगे थे मगर रविवार की रात नील गाय को शिकार करने वाली बाघिन ने कटरी के सैकड़ों गाँवों में लोगों को एक बार फिर से डरा दिया है .खबर मिलने के बाद वैन विभाग की टीमे सुबह से लगातार खोज में लगी हैं लेकिन अभी तक बाघिन का सुराघ नहीं लगा है .कटरी के लोगों का कहना है की गंगा में पानी चढ़ने का समय है ऐसे में वो खाने की तलाश में खेतों और गांवों की तरफ आ सकती है.एहतियात के तौर पर सभी से अपने घरों में रहनो को कहा गया है या फिर बड़े समूह में आने जाने की हिदायत जारी की गयी है .अब कटरीना के गिरफ्त में आने तक ग्रामीण खौफ के साए में जीने को मजबूर हों गे .पाठकों को बता दें की हर साल बरसात में कटरी के सैकड़ों गाँव बाढ़ की चपेट में आते हैं जिन्हें अपने परिवार और जानवरों के साथ गंगा बैराज और नवाबगंज के आसपास खुले में महीनो गुजर करनी पड़ती है ,उन्हें चिंता है की पानी चढ़ने के साथ बाघिन भी आबादी के पास ही अपना डेरा न जमा दे यदि ऐसा हुआ तो जानवरों के साथ इंसानों को खतरा हो सकता है .
