कानपुर। नबी करीम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा स ० आ ० व० की वाज़ेह हदीस है कि रमज़ान का चाँद देख कर मुसलमान तरावीह का एहतिमाम करें और ईद का चाँद देख कर तरावीह खत्म करें। तरावीह हर मुसलमान के लिए पढ़ना ज़रूरी है और मोहम्मद साहब की हदीस को नज़रअंदाज़ करते हुए तेन दिन छ दिन या एक हफ्ते में तरावीह पढ़ना ठीक वैसे है जैसे बिना नमक की दाल खाना।ईद के चाँद से पहले कम दिनों में क़ुरआन मुकममल होता है तरावीह नहीं।यह कहना है क़ाज़ी शहर मौलाना आलम रज़ा खां नूरी का। उन्हों ने आगे कहा कि ईद के चाँद से पहले तरावीह खत्म करना सख्त गुनाह है और लोगों को नबी की बतायी बात पर अमल करते हुए पूरे रमज़ान तरावीह पढ़ना चाहिए।
गौर तलब है कि पिछले बीस पच्चीस सालों से मस्जिदों के अलहाव जगह जगह काम मुद्द्दत में तरावीह पढ़ने का चलन शुरू हुआ था जिसका सिलसिला बढ़ता जारहा है और लाखों की भीड़ कम समय में तरावीह में क़ुरआन सूना चाहती है और ऐसा कर भी रही है। नतीजे में मस्जिदों में तरवीह पढ़ने वाले कम होते जारहे हैं और स्कूलों कालेजों व बड़े बड़े शादी हालों में तरावीह पढ़ कर लोग अपनी जिममेदारी से मुक्त होना समझ रहे हैं।कानपुर में इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि यह शहर एक बड़ा कारोबारी मरकज़ है और दुकानदारों व व्यापारियों को एक हफ्ते में तरावीह सुन कर अपने काम पर ध्यान भी देना होता है।हालाँकि शरिया के हिसाब से क़ाज़ी आलम रज़ा खान नूरी इसे सही नहीं मानते और कहते हैं कि यह नबी की सुन्नत का क़त्ल है।
तरावीह तो होजाती है लेकिन गैर मुनासिब अमल है -क़ाज़ी अबदुल क़ुद्दूस हादी
इस मामले में एक और क़ाज़ी शहर हाफ़िज़ अब्दुल क़ुद्दूस हादी कहते हैं कि यक़ीनन ईद के चाँद से पहले तरावीह खत्म करना गैर मुनासिब अमल है लेकिन मजबूरी में जायज़ है और तरावीह मुकम्मल होजाती है। उनका कहना है कि हर साल मदरसों से हज़ारों हुफ्फाज फ़ारिग़ होते हैं और उन्हें अल्लाह का कलाम सुनाने के लिए मस्जिदों में मौक़ा नहीं मिलता लिहाज़ा वह हाफ़िज़ हज़रात मस्जिदों के अलावा होने वाली तरावीह में क़ुरआन सुनाकर सवाब हासिल करते हैं अगर ऐसी जगहों पर तरावीह का एहतिमाम न हो तो वह हाफ़िज़ कहाँ क़ुरआन सुनाएंगे।
शहर में कई कालेजों व स्कूलों में तरावीह के इंतिज़ामात मुकम्मल
कानपुर महा नगर में लाखों लोगों की तरावीह सुनने के लिए कई संगठनों ने हर साल की तरह इस साल भी व्यापक पैमाने पर प्रबंध किये हैं। हलीम इंटर कालेज में होने वाली तरावीह में भीड़ को देखते हुए इस बार फील्ड में इन्तिज़ाम किया गया है जिस से कई हज़ार नमाज़ियों को अब सड़क पर सफें नहीं बिछानी पड़ेंगी। कालेज प्रबंधन ने हफ़्तों की मेहनत से ग्राउंड की घास को काट कर जगह को समतल किया है और पूरु मैदान की साफ़ करवा दिया है।वज़ू के लिए पानी का ख़ास प्रबंध है और पीने के लिए भी कई जगह ठन्डे पानी का इन्तिज़ाम किया गया है। मौलाना मोहननद अली मैमोरियल स्कूल में भी हज़ारों की संख्या में लोग तरावीह सुनने पहुँचते है जहां साड़ी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं बस अब रमज़ान उल मुबारक के चाँद का इन्तिज़ार है और चाँद दिखते ही इंशाअल्लाह सदा ए अल्लाह ओ अकबर के साथ फ़िज़ा पुरनूर होजाएगी।