कानपुर, 03 नवम्बर । नानक सर्वेश्वरवादी थे मूर्तिपूजा को उन्होंने निरर्थक माना। रूढिय़ों और कुसंस्कारों के विरोध में वे सदैव तीखे रहे। ईश्वर का साक्षात्कार उनके मतानुसार बाह्य साधनों से नहीं वरन् आंतरिक साधना से सम्भव है। उनके दर्शन में वैराग्य तो है ही साथ ही उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक धार्मिक और सामाजिक स्थितियों पर भी नजर डाली है। संत साहित्य ... Read More »