abu obaida snn कानपुर/सुप्रीम कोर्ट द्वारा गंगा को प्रदूष्ण मुक्त बनाने के लिए दिए गए निर्देश के बाद बनारस में गणपति बप्पा की मूर्तियों को नदी में विसर्जित करने की जिद पर अड़े काशी के संतों के तेवर के बाद अगर शहर की पुलिस हरकत में आई होती तो शायद जाजमऊ के सिद्धनाथ घाट पर विसर्जन के दौरान काल के गाल में समाये ९ लोगों को डूबने से बचाया जा सकता था हालांकि घटना के बाद नींद से जागे प्रशासन ने अब महा नगर के सभी घाटों पर स्थाई रूप से गोताखोरों की तैनाती करने का एलान किया है /गंगा में अक्सर लोगों की डूबने से मौत होना आम बात है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण है पिछले एक सप्ताह में विभिन घाटों पर ५ लोगों की डूब कर हुई मौतें/कानून के पालन करने के अपने दोहरे नज़रिए का ही परिणाम है की शहर के घाटों में गणपति महोत्सव के दौरान यह मौतें हुईं /मुख्यमंत्री ने सिद्धनाथ घाट पे हुए हादसे में जान गंवाने वाले सभी ९ लोगों के आश्रितों को एक एक लाख रूपये देने की घोषणा तो कर दी लेकिन जिला प्रशासन से हुई भारी भूल की तरफ शायद उनका ध्यान नहीं गया/जाजमऊ घाट पर हुए दिल दहला देने वाले हादसे के मात्र तीन दिन पूर्व बनारस में संतों और गणेश भक्तों पर पुलिस ने बर्बर लाठी चार्ज करते हुए यह बताने का काम किया की वह कानून तोड़ने वालों के साथ किसी भी प्रकार की हमदर्दी नहीं करे गी अगर बनारस पुलिस से सबक लेते हुए कानपुर की पुलिस ने भी मूर्ती विसर्जन से पूर्व ऐसी ही सख्ती दिखाते हुए गणेश भक्तों को गंगा में विसर्जन करने पर अंकुश लगाया होता तो शायद कानपुर में इतना बड़ा हादसा न होता जिसने गणेशोत्सव पर पानी फेरने का काम किया /महानगर के इतिहास में पहली बार इतनी भारी तादाद में गणेश मूर्तिया स्थापित की गयीं हैं और समूचा शहर गणपति बप्पा की गूँज से सराबोर है/आज भी शहर में स्थापित की गयी मूर्तियों का विसर्जन हुआ लेकिन पुलिस और जिला प्रशासन की सख्ती के साथ जिस के चलते कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं घटित हुई/