snn.नोएडा .लगातार सात माह से वेतन न मिलने से परेशान सहारा टीवी और प्रिंट के सैकड़ों कर्मचारी काम बंद कर परिसर में ही हड़ताल पर बैठ गए हैं .शुक्रवार को शाम सात बजे कर्मचारियों का सब्र जवाब दे गया और एक एक कर सभी कर्मचारी आफिस के बाहर जमा हो गए और प्रबन्धन से अपने बकाया वेतन की मांग की प्रबन्धन की ओर से आश्वासन दिया गया की एक दो दिन में सभी को सैलरी दे दी जाये गी मगर किसी ने यकीन नहीं किया सब ही मीडिया कर्मियों ने एक स्वर में जवाब दिया ,जब तक तंख्वाह नही मिलती कोई काम नहीं करे गा .इस तरह अचानक टीवी का प्रसारण बंद होने और अखबार न छप पाने से बौखलाए अधिकारियों ने आंदोलित कर्मियों को मनाने की भरपूर कोशिश की मगर कोई भाई कर्मचारी अपनी सीट पर जाने को तयार नहीं हुआ .कल शाम सात बजे से बंद काम को शुरू करा पाने में नाकाम प्रबंधन ने वर्कर्स में फूट डलवाने की कोशिश भी की मगर कामयाब नहीं हो सके .सभी कर्मचारी ३० घंटे से भी अधिक समय बाद भी काम पर नहीं लौटे हैं और सेक्टर ११ स्थित मुख्यालय प्रांगण में धरने पर बैठे हैं .हालत ये है की बार बार शीर्ष अधिकारियों द्वारा आश्वासन देने पर भी कोई यकीन नहीं कर रहा .सब ही लोगों का कहना है की बकाया पैसे लिए बिना काम नहीं करें गे .टीवी के एक पत्रकार ने कहा की दिल्ली जैसे शहर में सात महीने बगैर पैसे कोई कैसे गुज़ारा कर सकता है .जितना बैंक बैलेंस था खत्म हो चुका है अब तो उधार लेकर रोटी खाने की नौबत आचुकी है .छोटी तनख्वाह वाले तो भुखमरी की कगार पर पहुच चके हैं . सब से बड़ी चिंता मकान के किराए और बच्चों के स्कूल की फीस की है .दुखी मन से पत्रकार ने कहा की ज़िन्दगी भर लोगों की मदद करने वाले पत्रकार का आज कोई मददगार नहीं हमें अपने खून पसीने की कमाई को मागने के लिए खुले आसमान के नीचे भारी बारिश में भीगते हुए आन्दोलन करना पद रहा है .अफ़सोस की बात तो ये है की इनमे बहुत सी महिला कर्मचारी हैं जो लगातार आज दुसरे दिन पानी में भीग कर अपना हक मांग रही हैं .लोगों की दिक्कत को देखते हुए सहारा प्रबन्धन ने सभी के लिए खाना मंगवाया लेकिन किसी ने भी उसे हाथ नहीं लगाया .खबर लिखे जाने तक मैनेजमेंट की ओर से सीबी सिंह और राजेश सिंह स्टाफ को समझाने की कोशिशों में लगे हैं पर कोई भी अपने घर जाने को तयार नहीं ,आंदोलित कर्मियों ने जगह जगह पेम्फलेट लगा दिए हैं जिन में लिखा है पैसा नहीं तो काम नहीं .
सहारा के मौजूदा हालात को देखते हुए लगता नहीं की बारिश में भीग कर अपने पैसे की मांग करने वालों को जल्द कोई राहत मिलने वाली है ऐसे हालात सुब्रोत राय सहारा सहाराश्री के १६ महीने पहले जेल जाने के कुछ महीने बाद ही बन्ने लगे थे.मौके की नजाकत को देखते हुए काफी लोगों ने दूसरी नौकरी ढून्ढ ली थी कई को कास्ट कटिंग के नाम पर निकाल दिया गया था .जो लोग छंटनी की मार से बच गए थे वो आज सात महीने से वेतन न मिलने से आहत धरने पर बैठने को मजबूर हैं .अब सहारा प्रबन्धन की ओर से वेतन कब और कितना मिलता है ये ठीक ठीक बताने वाला कोई नहीं .