कानपुर। फ़ित्ना ए कादयानियत और सुफी इजम की आड़ में शरीयते इस्लामी से छेड़ छाड की देश भी में संघ की कोशिशों के खिलाफ सुन्नी उल्मा कौंसिल आगामी एक अप्रेल से जागरूकता अभियान शुरू करने जा रहा है। इस अभियान के तहत आम मुसलमानो को कादयानियत के बारे में जानकारी दी जाए गी।अभियान में मुस्लिम कौम को बताया जाएगा कि मिर्ज़ा गुलाम अहमद कादयान द्वारा शुरू किये गए कादयानी धर्म का इस्लाम से कुछ भी लेना देना नहीं और उसकी तालीमात इस्लाम की मान्यताओं से बिलकुल अलग हैं।
इस सिलसिले में सुन्नी उल्मा कौंसिल की एक बैठक तलाक महल स्थित कार्यालय में सम्पन्न हुई जिसमे उपरोक्त घोसना की गयी। बैठक में कहा गया कि अंग्रेजी हुकूमत के तलवे चाटने वाले गुलाम अहमद कादयान को अंग्रेज़ों ने साज़िश के तहत कादयानी धर्म का संस्थापक घोषित करवाया और मुसलमानो को अपनी रह से भटकाने की नापाक कोशिश की जिसमे फँस कर दुनिया भर ख़ास कर अविभाजित भारत में उसके कुछ अनुयायी बन गए जो मुस्लिम समाज में रहकर अक्सर फितने फैलाते रहते हैं। बैठक की अध्यक्षता करते हुए मौलाना मेराज अशरफी ने कहा कि अट्ठारहवीं शताब्दी के अंत में अंग्रेज़ों ने मुसलमानो को गुमराह करने की नालाम कोशिश की थी जिनमे वह बहुत कामयाब नहीं होसके लेकिन कुछ लोग झूठी बैटन में आकर बहक गए जिन्हे राह पर लाने और कादयानियत के फितने को रोकने के लिए अनपढ़ या कम पढ़े लिखें मुसलमानो को इस्लाम और कादयानियत का फ़र्क़ समझाया जाए गा।