राजेश मिश्र /लखनऊ /उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले होने जा रहे पंचायती राज चुनाव के लिए राजनैतिक दलों की गति विधियां तेज़ हो गयीं हैं / चार चरणों में होने वाले चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन का सिलसिला भी तेज़ हो गया है / सभी राजनैतिक पार्टियाँ इस चुनाव में अपना झंडा ऊंचा करने की कवायद के साथ चुनाव मैदान में अपने प्रत्याशियों की सूचियाँ बनाने में तल्लीन होकर उसे अंतिम रूप देने की कोशिश में लग गयी हैं/ सभी दलों की यह मंशा है की सूची घोषित करने में ऐसी कोई गलती न हो जाये की उसकी वजह से संगठन में बिखराव की स्थिति पैदा होजये/इसकी प्रमुख वजह है की हर क्षत्र से प्रत्याशियों की स्थिति एक अनार सौ बीमार वाली बन गयी है/इसे लेकर प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दलों में अभी से टिकेट पाने का घमासान परवान चढ़ा है /लोकतंत्र की निचली इकाई के होने वाले इस चुनावों को सभी राजनैतिक दल विधान सभा चुनाव का सेमी फाइनल मानते हुए चुनावी जीत की रणनीति बनाने के सिलसिले को अंजाम देने में लग गए हैं /समाजवादी पार्टी से लोगों को सत्ता की हनक का लाभ दिखाई दे रहा है तो देश में चले मोदी के जादू का लाभ उठाने में भाजपा भी पीछे नहीं है जब की बसपा के दलित वोटों से हाथी की चिंघाड़ का लाभ लेने वालों की भी संख्या में कमी नहीं है /कांग्रेस के टिकट चाहने वाले भी राहुल भैया के सहारे अपनी चुनावी वैतरणी पार करने की उम्मीद पाले हुए हैं / युवाओं में राजनीति के प्रति बढे रुझान का ही कारण है की इन पंचायती चुनाव में लड़ने वालों की फेहरिस्त काफी लम्बी चौड़ी है और जो प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में राजनैतिक दलों के लिए खासी मुसीबत बन बैठी है / शायद यही कारण है की चयन प्रक्रिया का इंतज़ार किये बिना ही सभी दलों के कई कई प्रत्याशी होर्डिंग वार में जनता के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए अपना चुनाव प्रचार प्रारंभ भी कर चुके हैं /ऐसे में अगर किसी एक को गले लगा कर बाक़ी उम्मीदवारों को टिकेट से वंचित किया गया तो राजनैतिक असंतोष उभरने की संभावना से इनकार नही किया जा सकता और यही भितरघात का सबब बन सकता है /