कानपुर। महानगर की ७० लाख की आबादी में १० लाख से अधिक जनता जहाँ सर्दी गर्मी हो या बरसात बूँद बूँद पानी को तरसती है वहीँ जल निगम के अधिाकरियों की मदहोशी का आलम यह है कि नगर के राम बाग़ इलाके में पिछले दिनों बनायी गयी पानी की टंकी इतनी ओवरफ्लो होगयी की पूरे रामबाग क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होगयी। अचानक घरों और दुकानो में घुसे पानी को देख लोगों ने नीचे के कमरों से कीमती सामान हटाना शुरू कर दिया और तेज़ी से बढ़ता पानी देख अनहोनी की आशंका में छतों की ओर भागे। छतों पर चढ़ कर जब लोगों ने आस पास का नज़ारा देखा तो दंग रह गए चारों तरफ पानी ही पानी नज़र आ रहा था सड़कों पर खड़ी कारें आधी डूब चुकी थीं लेकिन आधा किलोमीटर दूर स्थित जल निगम कार्यालय इससे बेखबर रहा जबकि पूरे शहर में राम बाग़ में बढ़ की हवा फैल चुकी थी। आनन फानन में जब क्षेत्रीय पुलिस व जिला प्रशासन हरकत में आया तब तक फायर ब्रिगेड की गाड़ियों ने ओवर फ्लो हो रही टंकी की मोटर को बंद कराया तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली। क्षेत्रीय लोगों का कहना हैकि आम जन जीवन के जीने के अधिकार को गारंटी देने वाली सरकार के नुमाइन्दों की लापरवाही का परिणाम है कि टंकी के निर्माण के नाम पर जम कर लूट खसोट हुई जिसकी मंडलायुक्त स्तर पर जांच में भी जल निगम के अधिकारियों को दोषी पाया गया। यही कारण है कि शहर में एक दर्जन से अधिक पानी की टंकियों का निर्माण होजाने के बावजूद भी तकनिकी रूप से सही ना पाये जाने के चलते चालू नहीं की गया हैं। जिला प्रशासन का भी इस संबंध में कहना है कि इतनी बड़ी लापरवाही करने वालों को किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जाए गा।जल निगम की इस घोर लापरवाही से जहां लोगों का करोड़ों का घरेलू सामन भीग कर बर्बाद होगया वहीँ बुज़ुर्गों की जान पर बन आई जो घरों में उस समय अकेले थे।लोगों ने बताया की इलाक़े में रखे कई ट्राँफार्मर थोड़ी ऊंचाई वाले चबूतरे पर रखे थे जिस से पानी में करंट नहीं उतरा और एक भयानक हादसा होने से रह गया।यदि पानी ट्राँफार्मरों तक पहुंचता तो जन हानि का अंदाजा लगा पाना मुश्किल होता। रामबाग निवासी सयाभ मिश्रा न बताया की पानी इतना तेज़ था कि लोग इसे दैवीय प्रकोप मान कर दहशत में आगये और महिलाओं व बच्चों की चीखों से इलाक़ा दहल उठा।क्षेत्रीय पार्षद आलोक दुबे का कहना है कि टंकी निर्माण में बरती गयी अनियमितता की जांच कराने के लिए मुख्यमंत्री से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा जाएगा की ऐसे गैर ज़िम्मेेदार अधिकारियों को कम से कम ऐसे महत्वपूर्ण विभागों की ज़िमेदारी नहीं सौंपी जानी चाहिए।
