abu obaida दिल्ली /snn केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष भी पूरा नहीं होपाया की जमा खोरों ने अपना रंग ज़माना शुरू कर दिया और प्याज तथा दलहन के नाम पर अरबों के वारे न्यारे कर डाले /
जबकि अपने चुनावी घोषणा पत्र में महंगाई नियंतरण भाजपा और सपा का प्रमुख मुद्दा था/दलहन और प्याज़ के दामों में लगातार हो रही बढ़ोतरी जब चरम पर पहुच गयी तो आखिर केंद्र की भाजपा सरकार तब जागी जब जमा खोरों की तिजोरिया लबालब भर चुकी थीं और सरकार की जनता के बीच जम कर किरकिरी भी होना शुरू हो गई / जनता के बीच अपनी फजीहत होते देख केंद्र सरकार ने पहल करते हुए विदेशों से प्याज़ और दलहन का आयात शुरू किया जिसकी पहली खेप कल चेन्नई व बम्बई की बंदरगाहों पर पहुचे गी /जिसमे ८८० मीट्रिक टन प्याज और ९८४ मीट्रिक टन दलहन शामिल है /सवाल यह है की जब सरकार को विदेशों से प्याज और दल्हान का आयात करना ही था जो जमा खोरो को इतने दिन जनता के साथ लूटपाट करने का मौक़ा ही क्यूँ दिया गया ? विदेश से आने वाली प्याज व दलहन कि सूचना खाद्य व्यापारियों के बीच पहुँचते ही बुरी तरह खलबली मच गयी है और वह तरह तरह की अटकलें लगा रहे हैं /विदेश से आयात होकर भारत पहुचने वाले प्याज और दलहन के बाज़ार में आते ही खुदबखुद दामों का गिरना स्वाभाविक है /इस खबर ने जमा खोरो के माथे पर परेशानी की लकीरें उभार दिन हैं लेकिन महंगाई इ मार से बुरी तरह जोझ रही आम जनता ने राहत महसूस करते हुए यह कहना शुरू किया की ‘’चलो मोदी के अच्छे दिन का वादा देर से आया मगर दुरुस्त आया ‘’कम से कम अब जमा खोरों को लूट का मौक़ा तो नहीं मिले गा .दाल व प्याज के दामों की बढौतरी का वर्तमान में आलम ये है की अरहर की दाल १०० से ११० रूपये प्रति किलो बिक रही है वहीँ प्याज़ा के भाव ६० से 70 रूपये प्रति किलो के बीच पहुच चुके हैं /चेन्नई और बम्बई के बंदरगाहों से भारत के विभिन्न हिस्सों में पहुचने में कम से एक सप्ताह लग सकता है तब तक जनता को महंगे प्याज और दालों को खरीदना मजबूरी बनी रहे गी /