कानपुरsnn। कांशीराम ने नारा दिया कि जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी, लेकिन मायावती ने इस नारे को ही पलट दिया है। आलम यह है कि अब बहुजन समाज पार्टी में दलित व पिछड़ों की न के बराबर भागीदारी है। यह कहना है पूर्व मंत्री भगवती शरण सागर का।
कानपुर-बुंदेलखण्ड में बसपा का दलित चेहरा माने जाने वाले पूर्व मंत्री भगवती शरण सागर आठ अगस्त को दिल्ली में स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ भगवा चोला ओढ़ लिया था। बुधवार को पूर्व मंत्री अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी कार्यालय पहुंचे। जहां पर भाजपाईयों ने उनका भव्य स्वागत किया। पूर्व मंत्री के साथ आए समर्थकों को जिलाध्यक्ष उत्तर सुरेन्द्र मैथानी सभी को पार्टी की सदस्यता दिलाई। अपने संबोधन में सागर ने कहा कि मैं बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक हूॅं। परन्तु पार्टी का गठन जिस विचारधारा व सिद्धांतों को लेकर हुआ था मायावती जी ने उन सिद्धांतों को पलट दिया है। अब तो केवल वहां पर रूपयों के आधार पर नेता का कद तय होता है। दलित, शोषित, वंचित व पिछड़ों की चिंता छोड़ रूपया बटोरने में लगी हुई हैं। बहन जी की इस नीति से एक दिन ऐसा आएगा कि पार्टी में दो ही लोग बचेगी। आगे कहा कि देश की एक मात्र पार्टी भाजपा है जो सभी वर्गां को साथ लेकर सभी का विकास कर रही है। जिसके चलते बसपा के बहुत से पुराने नेता भाजपा में शामिल हो रहें हैं। इस अवसर पर प्रमोद त्रिपाठी, सत्येन्द्र पाण्डेय, अनिल दीक्षित, जगदीश तिवारी, कमल तिवारी, राधा दुबे, राजा गुप्ता, मुरलीधर कुरील आदि मौजूद रहें।
यूपी में बनेगी भाजपा की सरकार
उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए कहा कि आगामी विधान सभा चुनाव में पार्टी की ही सरकार बनेगी। इसलिए सभी कार्यकर्ता अपना शत प्रतिशत देकर कोई कोर कसर न छोड़े। उन्होंने कहा कि मोदी जी की विचारधारा से यूपी की जनता पार्टी में स्वतः जुड़ रही है। ऐसे में यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि पार्टी दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।
अलग-अलग क्षेत्रों से तीन बार रहे विधायक
कानपुर से तालुक रखने वाले भगवती शरण सागर बसपा के टिकट पर तीन बार अलग-अलग क्षेत्रों से विधायक रहे है। यही नहीं कांशीराम के नजदीक माने जाने वाले सागर को हर बार बसपा की सरकार में कैबिनेट का दर्जा मिला। पहली बार कानपुर देहात की भोगनीपुर सीट से, दूसरी बार कानपुर नगर की बिल्हौर सीट से व तीसरी बार झांसी की मऊरानीपुर सीट से विधायक रहें है।
