कानपुर। नवरात्र की अष्टमी व नवमी पर भक्त अपनी मन्नतें पूरी होने के लिए मुंह में लोहे का नुकीला सांग (भाला) डालते हैं। साथ ही वे अपने पूरे शरीर में सुईंयां भी चुभोते हैं। इसके बाद एक टोली के रूप में निकले ये भक्त जूही स्थित प्राचीन बारा देवी मंदिर में माता के दर्शन करने पहुंचते हैं। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से उनकी मरादें पूरी होती है और परिवार में खुशहाली आती है।
जीभ में चुभोते हैं र्सुइं
चैत्र नवरात्रि में भक्तों की मानें तो ज्वारें निकालने का महत्व है। इसे वहीं लोग निकालते हैं, जिनकी मनोकामना माता दुर्गा पूरी करती हैं, या जिन्हें कोई मन्नत मांगनी होती है। भक्त लोहे से सांग की पूजा करते हैं और अपने शरीर में सुईंयां चुभाते हैं। सांगें लगाते समय नींबू, फूल या मखाना लगाई जाती है। कई भक्त अपने जीभ में भी सुई चुभाते हैं। भक्त मुराद के अनुसार उतने वजन की लोहे की सांग लगाते हैं। इन सांगों की साइज एक फीट से लेकर 15 फिट तक होता है।
पुजारी लगाते हैं सांगें
सांगें लगाने के दौरान विधि-विधान को पूरा ध्यान रखना पड़ता है। यह पूजा पुजारी द्वारा कराई जाती है और फिर एक-एक करके सांग का नुकीला हिस्सा भक्तों के गाल में डालते हुए अंदर कर दिया जाता है। गाल को छेद कर निकले हिस्से में पुजारी नींबू या फूल लगाते है। कई तो अपने गले के चमड़ी में इस सांग को लगाकर चलते हैं।
भक्त का कहना
भक्त अनिल ने बताया कि वह पिछले छह साल से इस ज्वारों में शामिल होकर मुंह में सांग लेकर चल रहा है। उसकी कई मन्नतें देवी ने पूरी की है। माता की कृपा के चलते ही उसने आगे 10 साल तक इस तरह से सांग मुंह में खोंसकर मंदिर तक जाने का प्रण लिया है। कई भक्त कहते हैं कि जो अपने शरीर पर जीतनी ज्यादा सुईंयां चुभोता है, उसकी मन्नतें उतनी ही जल्दी पूरी होती है।
सांग निकलने के बाद नहीं दी जाती कोई दवा
शहर भर में निकलने वाले ज्वारों में शामिल भक्त शहर के प्रमुख मंदिर बारादेवी, ज्वालादेवी और चंद्रिका देवी के मंदिर में अपनी यात्रा समाप्त करते हैं। लोहे के बने इन सांगों और सुईंयों को शरीर से निकालने के बाद भक्तों को कोई दवा नहीं दी जाती है। मंदिर में होने वाले हवन की राख भक्तों के शरीर के उस हिस्से में मल दी जाती है।
जिला प्रशासन कराता है व्यवस्था
माता के भक्तों की आस्था में कानपुर जिला प्रशासन का भी पूरा सहयोग रहता है। ज्वारें निकाले जाने के दौरान जिला व पुलिस प्रशासन की ओर से मुकम्मल व्यवस्था की जाती है। ट्रैफिक विभाग द्वारा रूट डायवर्ट करने के साथ यात्रा मार्ग में जगह-जगह पानी व सड़क की मरम्मत से लेकर लाइटों की व्यवस्था सभी विभागों द्वारा की जाती है। वहीं ज्वारों के जत्थों के साथ पुलिस फोर्स मौजूद रहती है।