23-07-2013,वाशिंगटन। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भारत में जारी सियासी घमासान अब सात समुंदर पार जा पहुंचा है। मोदी को अमेरिका वीजा दे या नहीं, इसको लेकर भाजपा और उसके विरोधी यहां ओबामा प्रशासन के समक्ष आमने-सामने हो गए हैं। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह इस जुगाड़ में लगे हैं कि अमेरिका किसी भी तरह से मोदी को वीजा देने पर लगे प्रतिबंध को हटा ले। जबकि 12 गैर भाजपा दलों के 65 सांसदों ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह मोदी को वीजा नहीं देने की अपनी नीति पर कायम रहें। ओबामा को पत्र लिखने वालों में 25 राज्य सभा और 40 लोकसभा के सदस्य हैं।वीजा मामले में मोदी विरोधी सांसदों ने ओबामा को कुल तीन पत्र लिखा है। पहला पत्र विभिन्न दलों के 25 राज्य सभा सदस्यों की ओर से पिछले वर्ष 26 नवंबर को भेजा गया था। फिर उसी वर्ष 5 दिसंबर को 40 लोकसभा सांसदों ने भी इस आशय का खत अमेरिकी राष्ट्रपति को भेजा था। सांसदों ने इन पत्रों की प्रति रविवार को फिर ह्वाइट हाउस फैक्स किया। वाशिंगटन स्थित इंडियन अमेरिकन मुस्लिम कौंसिल [आइएएमसी] को भी इसकी प्रति भेजी गई है ताकि यह संगठन अपने स्तर पर ओबामा प्रशासन से संपर्क साध सके। पत्र में सांसदों ने ओबामा से कहा, ‘हम आपसे सादर आग्रह करते हैं कि आप मोदी को अमेरिका का वीजा नहीं देने की नीति पर कायम रहें।’ इस मुहिम की अगुवाई करने वाले निर्दलीय राज्य सभा सदस्य मोहम्मद अदीब के अनुसार, ‘मोदी को अमेरिकी वीजा दिलाने की राजनाथ सिंह की कोशिशों के चलते ही रविवार को हमने ओबामा को यह खत फिर प्रेषित किया।’
पत्र पर अदीब के अलावा साबिर अली, अली अनवर अंसारी [जदयू], रशीद मसूद, एसएस रस्मासुब्बु [कांग्रेस], एस अहमद [तृणमूल कांग्रेस], असाउद्दीन ओवैसी [ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन], थिरुमावालावन [वीसीके], केपी रामालिंगम [डीएमके], सीताराम येचुरी [माकपा] और एमपी अच्युतन [भाकपा] के हस्ताक्षर हैं। गौरतलब है कि राजनाथ सिंहअपने अमेरिका प्रवास के दौरान मोदी को वीजा दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने ओबामा प्रशासन से मोदी को वीजा देने का आग्रह किया है।
पत्र पर मैंने नहीं किए दस्तखत: येचुरी
मोदी विरोधी सांसदों द्वारा ओबामा को लिखे पत्र की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में आ गई है। माकपा नेता और राज्य सभा सदस्य सीताराम येचुरी ने ऐसे किसी पत्र पर दस्तखत करने से इन्कार किया है। उनका कहना हैं कि पत्र भेजने वालों ने किसी दस्तावेज से उनके हस्ताक्षर काट कर उसे चस्पा कर दिया है।
बकौल येचुरी, ‘ऐसा कुछ करने के लिए मुझे ओबामा को पत्र लिखने की क्या जरूरत आ पड़ी है। हम देश के अंदरुनी मामलों में किसी की भी दखलंदाजी पसंद नहीं करते हैं। ये ऐसे मसले हैं जिन्हें हम भारत में ही राजनीतिक स्तर पर निपट लेंगे। मैंने अमेरिकी राष्ट्रपति को कोई पत्र नहीं लिखा और न उस पर दस्तखत किए।’ हालांकि निर्दलीय राज्य सभा सदस्य अदीब ने कहा कि येचुरी और अच्युतन ने हस्ताक्षर किए थे। पता नहीं वे अब क्यों इन्कार कर रहे हैं।