कानपुर, 30 मार्च दिल्ली से गुम हुई दो बहनों को बुधवार मम्मी-पापा मिल गए। परिजनों को देख दोनों बच्चियां फूट-फूट कर रोईं। यह देख परिजन भी अपने आंसुओं को नहीं रोक पाए। गुम होने के बाद यह बच्चियों कानपुर के चाइल्ड लाइन में रह रही थी। जिन्हें बाल कल्याण न्यायापीठ के निर्देश पर परिजनों को सौंप दिया गया।
बुआ के साथ घूमने के दौरान बिछड़ी
दिल्ली के वजीरपुर में रहने वाले लाल दीवान की दो बेटिया मंजला(12) और मीना (9) छह साल पहले अपनी बुआ के साथ दिल्ली घूमने निकली थी। इस बीच दोनों मानसिक रूप से कमजोर बुआ से बिछड़ गई थी। काफी तलाशने पर भी वे नहीं मिली तो गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई।
आगरा स्टेशन पर मिली थी दोनों छात्राएं
चाइल्ड लाइन के निदेशक कमल कांत तिवारी के मुताबिक, छह साल पहले आगरा स्टेशन पर घूमते हुए इन दोनों बच्चियों को आरपीएफ ने पकड़ा था। इसके बाद उन्हें आगरा की चेतना संस्था को सौंप दिया था। वहां पर पर्याप्त संसाधन नहीं होने कारण चेतना संस्था ने मंजला और मीना को चाइल्ड लाइन कानपुर के सुपुर्द कर दिया था। इस बीच टीवी की बीमारी से परेशान मंजला का इलाज भी कराया गया। दोनों का स्कूल में एडमिशन कराया गया। मंजला कक्षा पांच और मीना कक्षा दो की छात्रा है।
न्यायपीठ ने दिया निर्देश
चाइल्ड लाइन के कोऑर्डिनेटर विनय ओझा ने बताया कि संस्था इन बच्चियों के परिजनों की तलाश लगातार कर रही थी। अशोक विहार थाने से बच्चों की सत्यता और मामले की निरीक्षण आख्या के बाद उनके परिजनों के बारे में पता चला। इसके बाद बाल कल्याण न्यायपीठ के समक्ष प्रस्तुत करने पर बाल कल्याण न्यायपीठ ने बच्चियों को माता-पिता को सुपुर्द करने का आदेश दिया।
चाइल्ड लाइन के प्रेम में बहे आंसू
मां उमादेवी ने बतया कि अपने बच्चियों को पाने की उम्मीद खो दी थी। लेकिन उनके बारे में जानकारी मिलते ही आंखों से आंसू छलक पड़ेे। वहीं मंजला ने कहा कि जितनी खुशी मम्मी-पापा के पास जाने का है, उतना ही दुख चाइल्ड लाइन से जाने का है। यहां सभी बच्चों ने एक-दूसरे का दुख बांटा। सभी के माता-पिता मिल जाए तो बेहतर है।