abu obaida कानपुर।अखबारों में रोज़ पढ़ने को मिलता है कि बदमाशों ने फलां जगह किसी की गोली मारकर ह्त्या कर दी किसी का चाक़ू से गला काट कर मार डाला और फरार हो गये अधिकतर मामलों में ये हत्यारे हथियारों सहित पुलिस की गिरफ्त में आ कर जेल की सलाखों के पीछे पहुँच जाते हैं लेकिन कुछ हत्यारे ऐसे हैं जो सरेआम लोगों की हत्या करते हैं फिर भी खुले आम सड़कों पर घूमते हैंऔर उन्हे गिरफ्तार करने की कोई हिम्मत भी नहीं करता।गिरफ्तार न करने के पीछे का कारण सिर्फ और सिर्फ भ्र्ष्टाचार और अपने काम से लापरवाही है जो नगर निगम कैटिल कैचिंग दस्ता करता चला आ रहा है। जी हां हम जिन कातिलों की बात कर रहे हैं दरअसल वह कानपुर के पांच लाख से अधिक आवारा पशु हैं जिनमे खतरनाक सींगो वाले छुट्टा सांड आवारा कुत्ते और कटखने बंदर है जो साल में औसतन एक दर्जन लोगों को सरे आम पटक पटक कर अपनी सींगों से मार देते हैं और आराम से सड़कों पर सीना तान कर घूमते फिरते है। कानपुर में शायद ही कोई ऐसा मोहल्ला हो जहां इनकी धमक न देखी जाती हो। ख़ास कर यह कलक्टर गंज बादशाही नाका परेड एक्सप्रेस रोड माल रोड किदवई नगर यहां तक कि सब से सुरक्षित और साफ़ सुथरी वीआईपी रोड पर समूह में दिखते हैं जिन से ट्रैफिक में वयवधान तो उतपन होता ही है बल्कि इनके आपस में लड़ने से अक्सर वाहन सवार हादसे का शिकार होजाते हैं। कई बार ऐसा देखने को मिला कि इन आवारा जानवरों ने पास से गुजर रहे किसी व्यक्ति को अपनी सींगों पर उछाल उछाल कर मार डाला और भीड़ बेबसी से उसकी मौत का तमाशा देखती रही।
छुट्टा सांड और गाय के अलावा लाखों की तादाद में आवारा कुत्ते भी वाहन सवारों को दौड़ा लेते हैं जिस से अक्सर लोग घायल होकर अस्पताल या सीधे शमशान पहुँच जाते हैं। कानपुर के नवाब गंज नया गंज घंटाघर आदि इलाकों की घनी आबादी में कटखने बंदर मकानों की छतों पर बैठे लोगों को दौड़ाते हैं जिस से दहशतज़दा लोग चार चार मालों से नीचे कूद कर मौत के मुंह में समा चुके हैं।
इतने हादसों के बाद भी नगर निगम का अमला कान में तेल डाले सोता रहता है और कैटिल कैचिंग दस्ता मोटी तनख्वा लेने के बाद भी सड़कों पर उतर कर इन आवारा पशुओं को पकड़ कर बंद नहीं करता। गौरतलब है कि कानपुर नगर निगम के पास कैटिल कैचिंग दस्ते में १५ लोग तैनात हैं जिनकी सालाना औसत सैलरी पचास लाख रूपये है। दस्ते को बाक़ायदा दो ट्रक भी मिले हुए हैं जिन में इन आवारा पशुओं को पकड़ने के बाद कांजी हाउस भेजना होता है लेकिन यह दस्ता मोटी रकम वेतन के रूप में वसूलने के बाद भी कोई अभियान नहीं चलाता और नतीजे में आवारा पशुओं की तादाद बढ़ती जारही है इस आबादी के साथ हादसे भी बढ़ रहे हैं जनता मौत के मुंह में समां रही है मगर नगर निगम के अधिकारी इन सब से लापरवाह मलाई बटोरने में लगे हैं।१० साल पहले मेयर रहे अनिल शर्मा ने आवारा जानवरों ख़ास कर सुवरों को पकड़ने का अभियान चलाया था जिसमे हज़ारों आवारा सुवरों को पकड़ कर कानपुर देहात के जंगलों में लेजाकर छोड़ा गया था लेकिन सुवर पालकों की लॉबी ने इस अभियान को बहुत दिन चलने नहीं दिया और अभियान टायं टायं फिश हो गया। कानपुर की आबादी के बीच सड़कों पर यह आवारा सांड गाय सुवर कुत्ते खचचर घोड़े और बंदर कब तक इंसानो की जान लेते रहें गे ये सवाल जनता पूछ रही है। अब इसका जवाब नगर विकास मंत्रालय के अधीन आने वाले नगर निगम को देना है। समस्या गम्भीर है लोगों की जान से जुडी है लिहाज़ा कानपुर नगर निगम की इस घोर लापरवाही पर नगर विकास मंत्री आज़म खान को कोई ठोस क़दम उठाते हुए कठोर आदेश देना होगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो इन आवारा क़ातिलों के ज़रिये लोग मरते रहें गे।