कानपुर:- जब दुनिया में आपसी नफरत चरम पर हो, धार्मिक और साम्प्रदायिक युद्ध भड़काने के लिए वैश्विक शक्तियां पूरी क्षमता का प्रदर्शन कर रही हों, मुस्लिम देश धार्मिक युद्ध के मैदान में तब्दील हो चुके हों, एशिया के मुसलमानों को भी घृणा की आग में डालकर झुलसा देने और शिक्षा व विकास के मैदान से बाहर कर देने की योजना पर व्यावहारिक प्रयोग सफल किया जा रहा हो, साथ ही हिंदू मुस्लिम, दलित मुस्लिम घृणा की गुप्त योजना योजनाबद्ध रूप से लागू किए जा रहे हों, ऐसे नाजुक माहौल के अवसर पर अकाबिर और जमीअत उलमा हिन्द के जिम्मेदारों विशेषकर मिल्लत ए इस्लामिया के दिल की धड़कन मौलाना सैयद महमूद असद मदनी के साहस जुर्रत व फिक्रमन्दी को हजार हजार सलाम कि उन्होंने नाजुक परिस्थितियों में जमीअत उलमा हिन्द का 33 वां अधिवेशन मुहब्बत के शहर ख्वाजा की नगरी अजमेर शरीफ में रखकर और बिना भेदभाव धर्म व संप्रदाय पूरी क़ौम की सभी बड़ी हस्तियों, सभी मसलकों के प्रमुखों, सभी बड़ी दरगाहों के सज्जादानशीनों को आमंत्रित करके और उन्हें एक मंच पर जमा करने की जो कोशिश की है यह देश व क़ौम के लिए एक नये अध्याय की शुरूआत होगी और भविष्य के इतिहासकार इसे जमीअत उलमा ए हिन्द का क्रांतिकारी कदम क़रार देगा। इन विचारों को व्यक्त करते हुए जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष, केंद्रीय जमीअत उलमा हिन्द के कार्यकारिणी सदस्य मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा कासमी ने कहा कि बधाई के पात्र हैं वे हजारों उलेमा व जमीअत के सदस्य और वह लाखों लोग जो इस जलसे में भाग लेकर अपना नाम भी इतिहास में दर्ज करा रहे हैं। मौलाना उसामा ने बतलाया कि देवबंद से अजमेर तक स्पेशल ट्रेन ख्वाजा गरीब नवाज एक्सप्रेस तो जा ही रही है इसके अलावा बसों, ट्रेनों और निजी गाड़ियों से पूरे देश से बड़ी संख्या में लोग अजमेर शरीफ पहुंच रहे हैं। मौलाना ने बतलाया कि 12 और 13 नवम्बर की सुबह उलेमा व प्रांतीय एवं केन्द्रीय सदस्यों के जलसे में भी अनुमान से कई गुना अधिक लोगों के आने की सूचना पर व्यवस्था बहुत बड़े पैमाने पर करने पड़ रहे हैं। जबकि 13 नवंबर शाम 4 बजे से होने वाले ‘‘इज्लास ए आम’’ में कई लाख लोगों के भागीदारी की उम्मीद है। इसकी तैयारी युद्धस्तर पर जारी है। अध्यक्ष जमीअत उलेमा यू0पी0 ने क़ौम की जागरूकता और जमीअत उलमा ए हिन्द के आवाज पर उनके उत्साह के देखते हुए खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्वी यूपी जहां से अजमेर हजार से 1200 किलोमीटर पर स्थित है वहां से ट्रेनों व निजी गाड़ियों के अलावा दर्जनों बसों द्वारा लोग अजमेर तक पहुंच रहे हैं। मौलाना ने संतोष व्यक्त किया कि क़ौम में ऐसी ही जागरूकता रही तो कोई दुश्मन ताक़त उन्हें मिटा नहीं सकती। मौलाना ने उम्मीद ही नहीं बल्कि विश्वास व्यक्त किया कि अजमेर से एकता व मुहब्बत का जो पैग़ाम मिलेगा वह पूरे देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में महसूस किया जाएगा।
