भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दो दिवसीय बांग्लादेश यात्रा पर शनिवार को यहां पहुंचे। इस अवसर के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी शुक्रवार को ही वहां पंहुच गई थीं। नरेंद्र मोदी ने इंडिया की राज्य सरकारों की मदद से तीस्ता और फेनी नदियों के जल बंटवारे के मुद्दे पर पडोसी बांग्लादेश के साथ उचित समाधान निकलने का भी विश्वास जताया।
भारत के प्रधानमंत्री और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के मध्य विस्तृत वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें सामुद्रिक सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग तथा मानव तस्करी और जाली भारतीय करंसी का प्रसार रोकने के लिए समझौते शामिल हैं।
बांग्लादेश को भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के उग्रवादियों की पनाहगाह माना जाता है।शेख हसीना ने वायदा किया कि आतंकवाद पर अंकुश लगाया जाये गा।
उन्होंने कहा कि दोनों देश बढ़ते व्यापार घाटे को पाटने के लिए दो विशेष आर्थिक जोन बनाने पर सहमत हो गए। मोदी ने बांग्लादेश को दो अरब अमेरिकी डॉलर कर्ज का ऐलान किया।
मोदी की यात्रा के पहले दिन ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते के दस्तावेजों का आदान प्रदान हुआ, जो 41 साल पुराने सीमा विवाद का समाधान करता है और जिसके जरिए एक दूसरे के क्षेत्रों का आदान प्रदान होगा। समझौते के तहत 111 सीमावर्ती एन्क्लेव बांग्लादेश को मिलेंगे जबकि बदले में 51 एन्क्लेव भारत का हिस्सा बनेंगे।
शेख हसीना के साथ संयुक्त पत्रकार वार्ता में मोदी ने कहा कि यह यात्रा ऐतिहासिक पल है। हमने एक ऐसे सवाल को हल कर लिया है, जो आजादी के समय से लंबित था। हम दोनों देशों ने सीमा का हल कर लिया है। इससे हमारी सीमाएं अधिक सुरक्षित होंगी और लोगों का जनजीवन अधिक स्थिर होगा। संसद द्वारा पिछले महीने सर्वसम्मति से एलबीए पारित करने का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि इससे बांग्लादेश के साथ संबंधों को लेकर भारत में आम सहमति का पता चलता है।
उन्होंने कहा कि दोनों देश पिछले साल ही सामुद्रिक सीमा के हल की बात स्वीकार चुके हैं। यह हमारे संबंधों की परिपक्वता और अंतरराष्ट्रीय नियमों के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इसलिए हम अपने संबंधों के एक बडे पल पर यहां मौजूद हैं। प्रधानमंत्री (हसीना) और मुझे ये बात पता है।
मोदी ने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच सडक, रेल, नदी, समुद्र, पारेषण लाइन, पेट्रोलियम पाइपलाइन और डिजिटल संपर्क के जरिए कनेक्टिविटी बढ़ेगी। आज हमने भविष्य के कुछ रास्ते खोले हैं। दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी और जनता से जनता के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए दो बस सेवाएं कोलकाता-ढाका-अगरतला और ढाका-शिलांग-गुवाहाटी की शुरुआत की गई। दोनों ही बसों को मोदी, हसीना और ममता बनर्जी ने हरी झंडी दिखाकर संयुक्त रूप से रवाना किया।
बातचीत के दौरान तय किया गया कि खुलना और सिलहट में भारतीय मिशन खोले जाएंगे जबकि गुवाहाटी में बांग्लादेशी मिशन खोला जाएगा।
तीस्ता जल मुद्दे की चर्चा करते हुए मोदी ने कहा कि हमारी नदियों से हमारे संबंध मजबूत होने चाहिए ना कि ये मनमुटाव का माध्यम बनें। जल बंटवारा भी कुल मिलाकर मानवीय मुद्दा है। यह सीमा के दोनों ओर के लोगों के जीवन और आजीविका को प्रभावित करता है।
उन्होंने सीमा विवाद के हल का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने इस समझौते के साथ ही राजनीतिक संकल्प और सद्भाव का परिचय दिया है। अपने संबंधों में व्याप्त क्षमताओं का दोहन करने के लिए हम मिलकर काम करेंगे। हम दोस्ती की भावना से चुनौतियों का समाधान करेंगे और परस्पर विश्वास की स्थिति बनाएंगे। यहां हुए समझौते इस ‘विजन’ और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
प्रधान मंत्री शेख हसीना ने भारत को ‘अत्यंत महत्वपूर्ण पड़ोसी’ बताते हुए कहा कि मोदी साहब की यात्रा ने नई उम्मीद जगाई है और इससे हमारे संबंध और मजबूत होंगे।
उन्होंने कहा कि जिन समझौतों पर हमने आज दस्तखत किए, उनसे व्यापार और निवेश के क्षेत्र में नये द्वार खुलेंगे। साथ ही कहा कि समझौतों को वास्तविकता में बदलना अधिक महत्वपूर्ण है।
शेख हसीना ने कहा कि उनका मानना है कि मिल जुलकर हम काम कर सकते हैं और इस क्षेत्र की संपन्नता सुनिश्चित कर सकते हैं, जो मुजीबुर रहमान का सपना था।