कानपुर। सरकारी अस्पताल में मरीजों की कैसे इलाज होता है इसका अंदाजा तस्वीर को देख कर आसानी से लगाया जासकता है। इनका कितना ध्यान रखा जाता है इसकी बानगी उस समय देखने को मिली जब सरकारी स्टाफ नर्से अपने केविन में बैठकर चाय पी रही थी तो वहीं दो लावारिश मरीज बेड के नीचे फर्श पर इलाज के लिए तड़प रहे है और उनको पूछने वाला कोई नहीं है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी इलाज के अभाव से दो ऐसे लावारिश मरीजों की मौत हो चुकी है जिनको खान ज़मीन पर दिया जाता था और कुत्ते मरीज़ के साथ भोजन करते थे। मीडिया में खबर फैलने पर स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल प्रशासन से जवाब मांगा था।
बताते चले कि जिला अस्पताल उर्सला के इमरजेंसी पुरुष वार्ड में चार लावारिश मरीज इलाज के लिए भर्ती किए गये है। रविवार की सुबह 11ः 25 मिनट पर मरीजों की हालचाल जानने के लिए रिपोर्टर उर्सला अस्पताल पहंुचा। जहां उसने देखा कि ड्यूटी रुम में बैठी स्टाफ नर्से चाय पी रही हैं तो वहीं लावारिश मरीज बेड के नीचे फर्श पर तड़प रहे है। ऐसे में जब उनके हालचाल जानने के लिए अन्य भर्ती मरीजों के तीमारदारों से पूछां गया तो उन्होंने बताया कि यहां की स्टाफ नर्से आती तो ड्यूटी करने लेकिन वह अपने ही जूनियरांे को काम पर लगाकर खुद ड्यूटी रुम में बैठकर चाय पीती नजर आती है। जब उनसे डाक्टर के बारे में पूछंने जाओं तो वह भड़क जाती है। कुछ तीमारदारों ने अपने मरीज की इलाज का हवाला व नाम न बताने के शर्त पर कहा कि यहां की स्टाफ नर्सेज चाय कोल्ड ड्रिंक के लिए भी पचास से सौ रुपया जमा करवाती है। मामले को लेकर जब कार्यवाहक निदेशक डा. संजीव कुमार से पूछा तो उन्हों ने ने कहा कि सभी मरीज उनके लिए एक समान है और हमारी स्टाफ नर्सेज बहुत काम करती है अगर उनके द्वारा किसी मरीज से पैसा लेने की बात सामने आयी है तो जांच की जायेगी। वहीं लावारिश मरीजों पर ऐसा व्यवहार हो रहा है तो वह स्वयं इसकी जांच करेगे और दोषी पाए जाने वाली स्टाफ नर्स पर दण्डात्मक कारवाई भी करेगें।