ABU OBAIDA पुलिस का इक़बाल किस क़दर कम हो गया है इसका अंदाजा घंटाघर चौराहे पर लगे ठेलों को देख कर आसानी से लगाया जा सकता है जिसे एक जून को ही पुलिस ने डीएम के आदेशों के बाद ज़बरदस्ती हटाया था।पुलिस को इस आदेश का पालन करने में पसीने छूट गए थे जिसमे ठेलों को बल पूर्वक हटाने के लिए कई थानो की फ़ोर्स बुलानी पड़ी थी। ठेले पर फल और सब्ज़ी बेचने वालों ने घंटाघर चौराहा जाम कर स्थानीय पुलिस पर प्रति ठेला १०० रूपये रोज़ वसूली की बात भी कही थी मगर भारी पुलिस बल ने सभी ठेला और गुमटियां हटा कर चौराहे को अतिक्रमण मुक्त कराया या था। आज तीन दिन बाद फिर फलों से सजे ठेले घंटाघर चौराहे की ज़ीनत बने है और क़ानून व्यवस्था को ठेंगा दिखा रहे हैं।रेलवे स्टेशन के बाहर इन ठेलों से दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है।ऐसा नही है की पुलिस की निगाह इन दुकानो पर नहीं पड़ती ,कलक्टरगंज , हरबंस मोहाल ,फीलखाना थाना की पुलिस दिन भर वहां मुस्तैद रहती है। सभी थानो की चौकियां भी चौराहे पर बनी है फिर भी इन दुकानदारों की मौजूदगी पुलिस्या कार्रवाई पर सवालिया निशान लगाती है।ज़ाहिर है इतनी हिम्मत बिना पुलिस वालों को समझे नहीं आ सकती।स्थानीय लोगों का कहना है की सभी दुकाने पुलिस के शह पर ही लगती हैं और लगी हैं।अब जिला प्रशासन को देखना है की उसके आदेशों की धज्जियां कैसे उड़ाई जा रही हैं। कुल मिला कर कहा जाये की दो जून की रोटी के लिए एक जून को हटे दुकानदार चार जून को फिर से सरकारी आदेशों की लखिल्ली उड़ा रहे हैं। नीचे तस्वीरों में १ जून को पुलिस का विरोध और उसके बाद घंटा घर चौराहे की बदली रंगत साफ़ देखि जा सकती है
