कानपुर। गेट पर पिछले ४६४३ से लगातार धरना दे रहे एल्गिन मिल के कर्मचारियों ने आज ट्रेड यूनियन काउंसिल कानपुर के बैनर तले कपड़ा मंत्रालय और बीआईसी के भृष्ट अधिकारियों के खिलाफ जम कर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में मांग की गयी की एल्गिन नम्बर एक को जल्द से जल्द दोबारा चालू किया जाए और छंटनी किये गए मज़दूरों को अविलम्ब नौकरी पर बहाल किया जाए। इस अवसर पर एक वक्ता ने कहा कि अटल बिहारी बाजपाई के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार ने सं २००१ में कैबिनेट में इस मिल को पुनः चालु करने का प्रस्ताव पारित कर दिया था जिसके बाद वर्ष २००३ में मिल के पुनरुद्धार की योजना तैयार की गयी थी जिसमे एल्गिन नम्बर एक को दोबारा चलाये जाने के साथ वीआरएस एवं छटनी किये हुए कर्मचारियों को वापस लेने का निर्णय शामिल था। तत्कालीन केंद्र सरकार द्वारा मिल पर बकाया ८०० करोड़ का क़र्ज़ भी माफ़ कर दिया गया था लेकिन कपड़ा मंत्रालय व बीआईसी प्रबंधन गठजोड़ की बदनीयती से ऐसा नहीं हुआ क्यूंकि उनकी निगाह मिल की हज़ारों करोड़ ई संपत्ति पर लगी है जिए वह भू माफियाओं को बेच कर अपनी तिजोरियां भरना चाहते हैं। यूनियन के मंत्री मोहम्मद समी ने कहा कि सरकार की मंज़ूरी के बावजूद भी मिल का दुबारा न चलना भरष्टाचार का सब से बड़ा सबूत है और इसकी भेंट चढ़कर कानपुर का हज़ारों मज़दूर सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर है। इस अवसर पर राकेश दीक्षित प्रदीप साहू श्याम सुन्दर बिंदा प्रसाद कमरुद्दीन आदि शामिल थे।
