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कानपुर।बीते शनिवार की सुबह एतिहासिक परेड ग्राउंड बाजार की ८५ दुकानों में लगी आग से पीड़ितों का चार करोड़ से अधिक माल जल गया लेकिन एक हफ्ता होने को आया अभी किसी भी दुकानदार को मुआवज़े के नाम पर फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। अग्निकांड के बाद से ही दुकानदार अपने जले हुए मलबे को देख कर आंसू बहा रहे हैं और इस बात का इन्तिज़ार कर रहे हैं कि कब ज़िला प्रशासन उन्हे पक्की दुकाने बना कर देगा।घटना के बाद से ही दुकानदार परेड मार्केट में टेंट लगा कर लगातार धरना दे रहे हैं और मुआवज़े के नाम पर होने वाली जांच पूरी होने का इन्तिज़ार कर रहे हैं। हालांकि हर बार की तरह इसबार भी उन्हे किसी सरकारी सहायता की उम्मीद नहीं। बतादें कि परेड ग्राउंड स्थित नवीन मार्केट साइड में लगभग १६० दुकाने हैं जिनमे ९९ प्रतिशत दूकानदार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।
धरने पर बैठे दुकानदारों का कहना है की सालार बक्श कोतवाल द्वारा वक़्फ़ संपत्ति रजबी ग्राउंड परेड पर यह बाज़ार १८५८ से लगता चला आ रहा है जिसे लगभग सौ साल बाद यानि १९५३ में सरकार ने नुज़ूल संपत्ति घोषित कर दिया था। परेड के दुकानदारों ने १९५३ में इस बात पर लम्बी क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी और १९७८ में अदालत ने सभी दुकानदारों को क़ब्ज़े के आधार पर वहाँ कारोबार करने का आदेश पारित किया था।उस आदेश के बाद यह बाजार धीरे शीरे तरक्की करता गया और ७० के दशक में परेड ग्राउंड के सामने नवीन मार्किट के वजूद में आने के बाद यह इलाक़ा कारोबारी लिहाज़ से चमक उठा।अस्थायी निर्माण के बावजूद यहां जूता चप्पल तिरपाल रेडीमेड कपडे व अन्य फैंसी सामान की बिक्री खूब होने लगी।कुछ ही सालों में यह बाज़ार अपने सस्ते और अच्छे उत्पादों के लिए कानपुर के आसपास के जिलों में मशहूर होगया और पडोसी जनपदों के खरीदार यहां खिंचे चले आने लगे।
परेड बाजार कमेटी के अध्यक्ष इमरान खान का कहना है कि सभी दुकाने मुस्लिम समुदाय की होने की वजह से यहां लोगों को कारोबारी जलन होने लगी और शरारती तत्व इस बाज़ार को किसी न किसी तरह खत्म करने पर आमादा होगये। उन्हों ने बताया कि इस बाज़ार में वैसे तो कई बार छोटी मोटी आग लगी लेकिन उसे किसी प्रकार बढ़ने से पहले बुझा लिया गया लेकिन वर्ष २००१ में जब पूरी मार्केट में आग लगी तो कुछ ही घंटों में पूरा मार्किट जल कर राख हो गया और लगभग १५० दुकानदारों का करोड़ों का माल जल गया। आग लगने पर लोगों ने इसे हादसा ही समझा और किसी तरह से फिर तिनका तिनका जोड़ कर अपने कारोबार को शुरू किया लेकिन १७ अप्रेल २००५ को फिर वैसी ही आग लगी जैसी २००१ में लगी थी तब किसी साज़िश का गुमान हुआ लेकिन कोई सुबूत न होने के चलते दुकानदारों ने अपनी बदनसीबी समझ कर एक बार फिर खून के आंसू पिये और पुनाः अपने कारोबार को शुरू किया। इमरान बताते हैं कि २००५ के बाद २००९ और फिर अब २०१६ में आग लगी और फिर मुसलमान दुकानदारों का करोड़ों का नुकसान हुआ। परेड बाजार कमेटी के महामंत्री अब्दुर्रब उर्फ़ नौशाद बताते हैं कि आग लगने की सभी घटनाओं में समानता से अब साज़िश की साफ़ बू आ रही है क्यूंकि सभी घटनाएं सहालग के समय और शनिवार की रात ही हुईं जब दुकानदार रविवार की बड़ी बाज़ार के लिए अधिक माल खरीद कर रखते थे।
अध्यक्ष इमरान व महामंत्री अब्दुर्रब ने बताया कि हर बार आग इतनी तेज़ी से फैलती है कि किसी को भी अपना सामान निकालने की मोहलत नहीं मिल पाती। दोनों पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से कहा कि उन्हे विश्वास है कि कुछ शरारती तत्व पूरी मार्केट में पीछे की साइड से कोई ऐसा केमिकल छिड़क कर आग लगाते हैं जो तेज़ी से आग पकड़ता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ और दो से पांच मिनट में आग पूरी तरह से आसमानी शोलों में तब्दील होगयी। उन्हों ने बताया कि नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर एक पुलिस वाले ने बताया कि उसने मार्केट के मध्य से आग को सांप की तरह लहराते हुए दोनों तरफ बढ़ते हुए देखा। सिपाही ने गुप्त जानकारी में कहा कि आम तौर पर आग का रंग नारंजी और पीला होता है लेकिन इस आग के शोले नीले रंग के दिखे। कमेटी के अध्यक्ष ने बड़ा रहस्योदघाटन करते हुए कहा कि २००१ से अब तक पांच बार बड़ी आग लगी लेकिन वर्ष २००५ में ही उन्हें मामूली मुआवज़ा मिला जिसका श्रेय मरहूम विधायक हाजी मुश्ताक़ सोलंकी को जाता है। उसके बाद लगी या लगाई गयी आग में अभी तक किसी को कुछ भी नहीं मिला।अन्य दुकानदारों ने साज़िश की प्रबल सम्भावना जताते हुए तर्क दिया कि आग इतनी तेज़ी से पहली की मार्केट में खुले घूमने वाले सैकड़ों नेवले तक जल गए और अपनी जान नहीं बचा सके । तीन बकरे भी अपनी जान से गए वहीँ एक बच्ची भी आग की भेंट चढ़ गयी। लोगों ने अवधनामा को बताया कि जब खुले आम घूमने वाले सैकड़ों नेवले जले मिले तो साजिशन आग लगाए जाने का पुख्ता यकीन हो गया। अब सभी दूकानदार इस घटना की निष्पक्ष जांच चाहते हैं और दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। सभी दुकानदारों ने एक स्वर में पक्की दुकाने बना कर दिये जाने की पुरज़ोर मांग उठायी है।
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परेड ग्राउंड में हुए अग्निकांड की जांच मजिस्ट्रेट कर रहे हैं कुछ ही दिनों में जांच पूरी हो जायेगी। जिलाधिकारी ने मुआवज़े के लिए शासन को पत्र लिखा है जिसका जवाब आना बाकी है।कोई फरेंसिक जांच अभी नहीं की जा रही है। ८५ दुकानों में आग से नुक्सान की लिस्ट जिला प्रशासन को मिली है और जांच के बाद ही आंकलन के अनुसार मुआवज़े का एलान किया जाए गा।
अविनाश सिंह
एडीएम सिटी