राजेश मिश्रा .दिल्ली /विगत लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस का आंतरिक ढ़ाचा पूरी तरह चरमरा गया है। इसमें सुधार लाने की पहल कहा से हो इसे लेकर कांग्रेस का हाई कमान खुद काफी चिन्तित नजर आ रहा है। आजादी के बाद से अब तक जिन वोटों पर कांग्रेस अपना आधिपत्य समझती थी। वह उसकी झोली से निकलकर काफी दूर जा गिरे है जिन्हें वापस लाना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। मोदी सरकार बनने के बाद भूमि अधिग्रहण मुददे के अलावा कांग्रेस की तरफ से कोई ऐसा आंदोलन राष्ट्रिय स्तर पर नहीं किया जा सका जिससे जनता के लोगों में यह विश्वास पनपे कि कांग्रेस विपक्ष में भी रहकर अपनी भूमिका का निर्वाह कर रही है। कल देर रात कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर इस पर मंथन चिंतन के लिए काफी देर वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के बीच मंथन जारी रहा और मंथन के बाद कांग्रेस के लोगों को एक बार फिर से अपने उन परंपरागत दलित वोटों की याद आई जो कभी कांग्रेस की जागीर हुआ करते थे। कांग्रेस ने खास कर उत्तर प्रदेश के लिए जो कभी कांग्रेस का अमेध किला माना जाता था। वहां से दलित पंचायतों के माध्यम से एक बार फिर से दलितों को पार्टी से जोड़ने का अभियान शुरू किया जा रहा है और इसके संचालन की जिम्मेदारी अनसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ पीएल पुनिया के कंधों पर डाली गई है। डाॅ पुनिया का कहना है कि त्योहारों का पर्व खत्म होते ही प्रदेश के सभी जनपदों एवं मंडलों पर दो बड़ी दलित महापंचायतों का आयोजन किया जाएगा। और उनके बीच जाकर बसपा और भाजपा के दलित विरोधी कारनामों का न सिर्फ पर्दाफाश किया जाएगा बल्कि कांग्रेस के शासनकाल में दलितों के उथान के लिए कांग्रेस द्वारा की गई पहल से उन्हें रूबरू कराया जाएगा। पुनिया का कहना है कि कांग्रेस ही दलितों की वास्तविक हितैषी पार्टी है। और डाॅ अम्बेडर, बाबू जगजीवन राम जैसे लोगों ने कांग्रेस के नेतृत्व में देश भर में बिखरें उप जातियों के दलितों को एकता के सूत्रों में पिरोने का काम किया है। उन्होंने मायावती और मोदी पर दलितों को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि आजतक इन पाटिर्यों ने दूसरे दलित नेता को राजनीति में पनपे ही नहीं दिया और अगर कुछ नेता स्थानीय स्तर पर उभरे भी तो वह भी इन्ही दलों की छत्रछाया में आकर इन्हीं का गुणगान करने में व्यस्त हो गये। डाॅ पुनिया का दावा है िकइस अभियान के साथ साथ कांग्रेस इन्द्ररा गांधी व राजीव गांधी की स्मृति में दिये जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कारों में से जल्द ही एक नाम डाॅ भीमराव आम्बेडर के नाम से भी जोड़ने वाली है। सम्भवता इसकी सूचना अगले माह राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में कर दी जाए गी /