abu obaida कानपुर-इस वर्ष दीपावली के मौके पर देवी देवताओं की मूर्तियों डेकोरेटिव आइटम्स, पटाखों व अन्य साजो सामान के सस्ते और तड़क भड़क वाले चीनी आइटम बाजारों में उपलब्ध नहीं होगे। क्योंकि कंेद्र सरकार ने पर्यावरण को नुकसान पहंुचाने वाले इन चीनी पटाखों व अन्य प्रोडेक्ट्स को बैन करने के बाद देश भर में स्टाकिस्टों की धरपकड़ शुरू कर दी है। इसी के तहत आज कानपुर के अनेक बाजारों में चीनी उत्पादों की धरपकड़ के लिए प्रशासन की ओर से छापेमारी भी की गई और कई दुकानों पर उपलब्ध चीनी उत्पाद जब्त किए गए। सरकार के निशाने पर जिन चीनी उत्पादों की नजर है उनमें पटाखों के अलावा रंग बिरंगी लाइटों वाली झालरें देवी देवताओं वाली मूर्तियां प्रमुख रूप से शामिल है। जिनपर सरकार पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है। वाबजूद इसके पिछले वर्ष दीपावली हो या होली चीनी उत्पादों की जमकर बिक्री हुई थी जिसके चलते केंद्र सरकार को हजारों करोड़ रूपए का चूना लगा था। इस बार सरकार चीन के भारतीय बाजार में बढ़ते दखल को रोकने के लिए पहले से सख्त कदम उठाने को मजबूर हो गई है। जिसके चलते छापेमारी की प्रक्रिया को राष्ट्रीय स्तर अंजाम देना शुरू कर दिया है। व्यापारिक सूत्रों का दावा है कि चीन के पटाखा उद्योग का बाजार 30 हजार करोड़ रूपये है और वह दुनिया का सबसे बड़ा पटाखा उत्पादक देश है। चीनी पटाखों की घरेलू खपत नाम मात्र की है और उसके कुल उत्पादन का 95 प्रतिशत निर्यात कर दिया जाता है। इनमें से ज्यादातर भारत में ही आते है। इस प्रक्रिया से चीनी पटाखा उद्योगों की सालाना आमदनी 5 हजार करोड़ रूपये से ज्यादा होती है। भारत में पटाखा निर्माण तमिलनाडु के शिवाकाशी में होता यहाँ पूरे देश में बिकने वाले 90 प्रतिशत पटाखों व 75 प्रतिशत माचिस का उत्पादन होता है और पांच लाख से अधिक लोग इस कारोबार से जुड़े हुए है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि प्रतिबंधित प्रोडेक्टस में से पटाखों को लेकर विशेष तौर पर सतर्कता बरती जा रही है हालांकि इसे विस्फोटक अधिनियम के तहत पहले से ही प्रतिबंधित किया जा चुका है। वाबजूद इसके भारतीय रैपरों का इस्तेमाल कर तस्करी के जरिये भारतीय बाजार में चीनी पटाखें बिक्री के लिए उपलब्ध है। सरकार का यह मानना है कि चाइनीज उत्पादों पर प्रतिबंध से भारत के लघु उद्योगों को एक बड़ा व्यापार का अवसर प्रदान होगा। जिससे सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा और स्वदेशी उत्पादों के प्रति जनता का आकषर्ण भी। वहीं वरिष्ठ सर्जन जोगिन्द्रर सिंह का कहना है कि चाइनीज पटाखों की अपेक्षा भारतीय पटाखें पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं /