abu obaida मुंबई।बॉलीवुड की चमकती दुनिया में देश के लगभग सभी छोटे बड़े शहरों से युवा अपनी किस्मत आज़माने रोज़ मुंबई पहुँचते हैं। सभी के अंदर एक ऐसा किरदार छिपा होता है जो शाहरुख़ ,सलमान ,अक्षय जैसा स्टार बनना चाहता है लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो अपनी मंज़िल तक पहुँच कर नाम रोशन कर पाते हैं।ऐसे ही एक अदाकार है इरफ़ान रज़ा खान जो कानपुर नगर के पडोसी ज़िले कानपुर देहात की तहसील राजपुर में पैदा हुए और कानपुर ज़िले के क्रास्टचर्च कालेज से बी एस सी की पढ़ाई खत्म की।घर वाले इरफ़ान रज़ा खान को डाक्टर बनाना चाहते थे लेकिन पैसे के आभाव में उन्हें डाक्टर बनने से रोक दिया जिसके बाद उन्हें अपना खर्च चलाने के लिए बैंक में नौकरी करनी पड़ी। पढ़ाई के दौरान ही इरफ़ान ने स्थानीय नाटकों और स्टेज शोज़ से लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा ,कानपुर और आसपास के ज़िलों में होने वाले कई टैलेंट शोज़ में अपना ऑडिशन दिया।कानपुर स्तर पर कोई खास पहचान ना मिलने के बाद घर वालों के दबाव में गुड़गांव स्थित एक मल्टीनेशनल बैंक में एक साल तक नौकरी की मगर बैंक की सर्विस में भी दिल नहीं लगा और २००६ में झोला उठा कर पहुँच गए माया नगरी मुंबई।
मुंबई की चकाचौंध से आकर्षित इरफ़ान जब निर्माताओं के दफ्तरों में पहुंचे तो पता चला कि जिस राह पर वह चलने की सोच रहे हैं वो इतनी आसान नहीं जितनी बाहर की दुनिया को लगती है।अच्छी कद काठी और आकर्षक व्यक्तित्व के इरफ़ान को काफी जद्दोजेहद के बाद एक टीवी कमर्शियल में ब्रेक मिला जिससे उनको थोड़ी बहुत पहचान मिली। एक विज्ञापन फिल्म करने के बाद हौसला बढ़ा और कॉन्फिडेंस के साथ उन्हों ने फिल्म और सीरियल निर्माताओं से मिलना शुरू किया और फिर उन्हें एक डेली सोप में रोल मिल गया। सीरियल में काम करते हुए खान ने सीनियर आर्टिस्टों से तजुर्बा हासिल किया और अपने रोल पर पहले से ज़्यादा मेहनत शुरू कर दी जिसके नतीजे में काम आसानी से मिलने लगा। एक के बाद एक सीरियल जब टीवी पर दिखने शुरू हुए तो अन्य निर्माताओं का ध्यान भी इरफ़ान की तरफ गया और उन्हें बड़े परदे पर काम मिलना शुरू हो गया। एक दर्जन विज्ञापन करने के बाद इरफ़ान की एक्टिंग में निखार आता गया और उनकी झोली में ,पवित्र रिश्ता ,देखा एक ख्वाब ,नाव्या ,गुलाल ,कितनी मोहब्बत है ,हार जीत,बसेरा ,नमक हराम ,वांटेड ,सी आई डी ,सावधान इंडिया जैसे सीरियल की झड़ी लग गयी।टीवी सीरियल में लोकप्रिय होने के साथ ही उन्हें फीचर फिल्म ‘मैनु एक लड़की चाहिए ,लतीफ़ जय , जय माँ शेरा वाली,देश द्रोही ,इजाज़त गुल मकई और गुंचा जैसी फिल्मे मिलीं और वह स्थापित कलाकार बन गए।मैनु एक लड़की चाहिए में उनके किरदार को काफी पसंद किया गया। फिलहाल उनकी ताज़ा तरीन फिल्म पावर आफ वर्दी सिनेमा घरों में रिलीज़ के लिए तैयार है नवंबर में रोलीज़ होने वाली इस फिल्म के प्रोमोशन में व्यस्त इरफ़ान राजा खान ने सत्यम न्यूज़ को बताया कि पावर आफ वर्दी से उन्हें काफी उम्मीदें हैं ,फिल्म अच्छी हिट साबित होगी और लोगों का मनोरंजन करेगी।डैशिंग इरफ़ान कहते हैं कि अगर आपके अंदर टैलेंट है तो फिल्म की माया नगरी कलाकार को निराश नहीं करती और उसे अपनी क्षमता के अनुरूप काम मिल जाता है।एक सवाल के जवाब में उन्हों ने कहा कि ऐक्टिंग का हुनर खुदा दाद होता है बस उसे नुखारने की ज़रूरत होती है /