rajesh mishra .ग्रेटर नॉएडा /दादरी के बिसहरा गाँव में गौमांस खाने की अफवाह के बाद उन्मादी भीड़ के हाथों बेरहमी से मारे गए अखलाक की तड़पती रूह को अभी सुकून भी नसीब नहीं हुआ था कि उसकी मौत पर सियासत का घिनौना खेल सियासी संगठनों ने शुरू कर दिया /प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मृतक के परिजनों को दस लाख रूपये मुआवजा देकर समूचे प्रकरण की तह तक जाने की ज़हमत भी नहीं उठाई जिसे लेकर प्रदेश के लोगों में ख़ासा रोष व्याप्त है/१४ हज़ार की आबादी वाले बिसहरा गाँव में मात्र ५० घर मुसलमानों के हैं जिन में एक घर इखलाक का भी है/पिता की निर्मम ह्त्या की खबर पाते ही चेन्नई मे तैनात एयर फ़ोर्स कर्मी बेटे सरताज के पैरों तले ज़मीन खिसक गयी/उसे इस बात का यकीन ही नहीं हो रहा था की जिन लोगों के बीच रह कर उनका परिवार ज़िन्दगी गुज़ार रहा था वही लोग उसके पिता की ह्त्या कर बैठे/अखलाक की मौत के बाद से बिसहरा ही नहीं बल्कि आस पास के क्षेत्रों में अघोषित कर्फ्यू सा माहौल है और सुरक्षा की कमान चार जनपदों की पुलिस के हवाले कर दी गयी है/सूत्रों से मिली जानकारी से के अनुसार अखलाक की ह्त्या में शामिल जिन ६ लोगों को पुलिस ने नामज़द कर जेल भेजा है वह संख्या पर्याप्त नहीं, क्यों की मारने वालों की भीड़ में सैकड़ों लोग शामिल थे जिन्हे अभी तक पुलिस ने नामज़द नहीं किया है/अख़लाक़ का घायल बेटा ग्रेटर नॉएडा के निजी अस्पताल में जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहा है ऐसे में उसे व उसके परिवार को सांत्वना देने के बजाये हिन्दूवादी संगठनों ने उनके ज़ख्मों पर नमक छिड़कने की कवायद तेज़ कर दी है/
एक तरफ जहाँ हिन्दू महासभा ने घटना को जायज़ ठहराते हुए कहा की गौ ह्त्या करने वालों के साथ ऐसा किया जाना जायज़ है और भविष्य में भी यह सिलसिला जरी रहे गा/वहीँ साध्वी प्राची ने भी हिन्दू महासभा के स्वर से स्वर मिलाते हुए कहा की अखलाक की ह्त्या गौवंश के साथ छेड़छाड़ की घटना करने वालों के लिए एक नजीर बने गी /वहीँ समाजवादी पार्टी के विधायक ज़मीर उल्लाह खान जो काफी अरसे गौ रक्षा अभियान की मुहिम चला रहे हैं उनका कहना है की अभी तक जो जानकारी उनतक पहुची है उसके अनुसार बिसहरा गाँव में गौवध हुआ ही नहीं और अगर ऐसा होता भी तो कम से कम कानून को अपने हाथों में लेने की इजाज़त किसी को नहीं दी जासकती/
दहशत और सियासी सुर्रे बाज़ी के चलते बिसेहरा व आसपास के गाँव से मुस्लिम आबादी ने पलायन करना शुरू कर दिया है/इनका कहना है की जिन पर हमें नाज़ था वही अब हम पर गाज बन कर टूट रहे हैं ऐसे में उनके बीच अब रह पाना संभव नहीं है /आखिर अखलाक ने किसी का क्या बिगाड़ा था की ईद उल अजहा की खुशियों पर उन्मादी भीड़ ने उसके परिवार की खुशियों को खून से सराबोर कर दिया/घटना के बाद पुलिस ने भी अख़लाक़ के घर से जो मांस बरामद किया वह भी बकरे का था/ फिर भी एहतियातन गोश्त के सैम्पल जांच के लिए लैब भेज दिए गए हैं /
आज़ादी के बाद से सांप्रदायिक सौहार्द के लिए मशहूर पक्षिमी उत्तर प्रदेश को आखिर किस की नजर लग् गयी है/देश में विभाजन के पहले और बाद में दंगे तो अनेक हुए लेकिन कभी उसकी आंच पक्षिम उत्तरप्रदेश को प्रभावित नहीं कर पायी लेकिन विगत कुछ वर्षों में कुछ सियासी लोगों की गुणा गणित ने कुछ ऐसी चिंगारी फैलाई जो दंगों के रूप में कई बार ज्वाला मुखी बन कर लोगों के बीच नज़र आई/जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण शामली,मुज़फ्फर नगर और मेरठ के हालिया दंगे हैं और इन दंगों की कड़ी मे भी कुछ ऐसे ही हादसे शामिल रहे हैं जिनको सियासी लोगों ने अपनी राजनैतिक रोटिया सेंकने के लिए हिन्दू और मुसलमानों के बीच एक दरार डालने का प्रयास किया है/