दिल्ली /मुंबई / snn दी गड आफ स्माल थिंग्स की लेखिका अरुंधती राय व अपनी कामेडी फिल्मों के माध्यम से सामजिक मुद्दों को उठाने वाले फिल्म निर्देशक कुंदन शाह ने अपने अपने राष्ट्रीय पुरुस्कारों को सरकार को लौटाने का एलान करते हुए कहा की साहित्यकारों व लेखकों पर जिस तरह से हमले हो रहे हैं ऐसे में उनका खामोश रहना किसी भी सूरत में वाजिब नहीं है /अरुंधती राय ने कहा की देश के लाखों दलित ,आदिवासी,इसाई व मुसलमान आतंक के साए में जीने को मजबूर ही ,उन्हें डर रहता है की जाने कब उनपर किस तरफ से हमला हो जाए /राय को १९८९ में फिल्म in which annie gives it those one की स्क्रिप्ट राइटिंग के लिए राष्ट्रीय पुरूस्कार से नवाज़ा जा चूका है जब की फिल्म निर्देशक कुंदन शाह को ,जाने भी दो यारो ; जैसे फिल्म के लिए १९८३ में इंदिरा गांधी अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है /अरुंधती राय का कहना है की कलाकारों व बुद्धिजीवियों के इस एतिहासिक आन्दोलन में साहित्यकारों का खामोश रहना भविष्य में किसी बड़े खतरे का सबब बन सकता /उन्हों ने कहा की उन्हें फख्र है की उनके पास कम से कम एक ऐसा अवार्ड है जो इस आन्दोलन में वापस करने के लिए हमे प्रेरित कर रहा है ,वहीँ कुंदन शाह का कहना है की भाजपा सरकार के रहते अब वह सामजिक मुद्दों से जुडी फिल्मों के निर्माण का सहस करने की सोच भी नहीं सकते /