rajesh misra .लखनऊ . कभी समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह के बाद दुसरे नम्बर की हैसियत रखने वाले अमर सिंह की फिर से सपा में वापसी की राह में सब से बड़ा रोड़ा बन कर खड़े हैं नगर विकास मंत्री मोहम्मद आज़म खान .बावजूद इसके भी उनकी जल्द ही समाजवादी पार्टी में वापसी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.उत्तर प्रदेश औधोगिक विकास निगम के अध्यक्ष व सांसद रहे अमर सिंह की पिछले दिनों एक के बाद मुलायम सिंघ यादव व उनके अनुज शिवपाल सिंह यादव से मुलाकातों के बाद सपा के गलियारों में इस बात की चर्चा बहुत तेज़ी से चल रही है की आखिर अम्र सिंह की घर वापसी कब और किस तरह होगी .कल लखनऊ में पत्रकारों से बातचीत के दौरान प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने कुछ ऐसे संकेत तो दिए लेकिन आज़म के नाम पर वे खामोशी अख्तियार किये रहे और कहा की अमर सिंह समाजवादी परिवार के सदस्य थे और आगे भी उनसे सपा के रिश्ते बरक़रार रहें गे .घर वापसी को लेकर उन्हों ने कहा की इसका अंतीं फैसला सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ही करें गे .विदित हो की समाजवादी पार्टी में अपनी खासी अहमियत रखने वाले अमर सिंह ने प्रोफेसर रामगोपाल व मोहम्मद आज़म खान की नाराजगी के चलते समाजवादी पार्टी को अलविदा कह कर सपा परिवार से अपनी दूरी बना ली थी .उनके इस फैसले में रामपुर से सपा की सांसद फिल्म अभिनेत्री जाया प्रदा भी शामिल रही थीं .सपा से नाता तोड़ने के बाद अमर सिंह ने एक राजनैतिक दल का गठन कर उसके माध्यम से प्रदेश भर में विधान सभा चुनाव के दौरान अपने प्रत्याशी भी खड़े किये लेकिन प्रदेश में उनका कही खाता भी नहीं खुला और वह राजनीति के हाशिये पर आ गए .सपा में रहने के दौरान सपा मुखिया और अमर सिंह के बीच नजदीकियों की कमी मुलायम सिंह को कुछ मौकों पर अखरती भी रही लेकिन वह एक मंझे राजनेता की तरह कभी भी अमर सिंह के खिलाफ कुछ नहीं बोले और अमर सिंह भी राजनीति के परिद्रश्य से पूरी तरह गायब रहे .पिछले लोक सभा चुनाव के बाद विभिन्न मौकों पर जब सपा मुखिया व अमर सिंह आमने सामने हुए तो एक बार फिर से दोनों के दिलों में व्याप्त भ्रांतियां खत्म होती दिखाई दीं .अब हालात यहाँ तक पहुच गए की कभी भी समाजवादी पार्टी में अमर सिंह की प्र्रत्य में शामिल होने की घोषणा की जासकती है और यह भी संभव है की सपा सुप्रीमो बिहार विधानसभा चुनाव के पूर्व ही अपना निर्णय सार्वजनिक कर सकते हैं.राजनीति में एक कहावत है कि सियासत के मैदान में कोई भी किसी का स्थाई रूप से न तो दोस्त होता है और न ही और न ही दुश्मन .शायद इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए मुलायम सिंह को यह निर्णय करना पड़ रहा है .देखना है की अमर सिंह के पार्टी में आने से सपा को भविष्य में कितना राजनैतिक लाभ मिल सकता है और कैसे अमर सिंह के खिलाफ आज़म व प्रोफेसर के दिलों में सुलग रही चिंगारी को किस तरह बुझाया जा सकता है.