कानपुर। गांव को स्वच्छ रखने वाले सफाई कर्मचारियों से जांच करने के नाम पर रूपया ऐंठा जा रहा है। घूस न देने पर स्थानान्तरण के अधिकार का प्रयोग होता है। यह कहना है राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद का। परिषद ने ऐसी ही शिकायतों को लेकर सीडीओ से मिले और डीपीआरओ पर अंकुश लगाए जाने की मांग की।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के पदाधिकारियों ने विकास भवन में बुधवार को सीडीओ अरूण कुमार से मुलाकात कर जिला पंचायत राज अधिकारी हरीशंकर सिंह की शिकायत की। कर्मचारियों का आरोप है कि डीपीआरओ सफाई कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहें है। रूपया न देने पर जांच के नाम पर स्थानान्तरण कर देते है। जबकि नियमतः जब तक जांच पूरी न हो तब तक किसी कर्मचारी का स्थानान्तरण नहीं किया जा सकता। परिषद के अध्यक्ष रमेश चन्द्र कनौजिया ने बताया कि शिवराजपुर के सफाई कर्मचारी लाखन सिंह को शिकायत पर तत्काल स्थानान्तरण कर दिया गया। जबकि जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में तैनात लिपिक दिग्विजय सिंह ने सरसौल के सफाई कर्मचारी के साथ मारपीट की थी और आज तक उसको स्थानान्तरण नहीं किया गया। ऐसे दोहरे रवैए से यह साफ है कि डीपीआरओ सफाई कर्मचारियों का उत्पीड़न कर रहें है। वहीं डीपीआरओ का कहना है कि सभी आरोप बेबुनियाद है, जहां तक रही निशा की बात तो मेरे कार्यकाल से पहले ही उसकी नियुक्ति हुई थी। जिस पर जांच हो रही है। इस अवसर पर रमेश चन्द्र कनौजिया, प्रभात कुमार मिश्र, अंगद सिंह, राजकिशोर आदि मौजूद रहें।
सफाई कर्मियों के वेतन में हो रहा घोटाला
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष रमेश चन्द्र कनौजिया ने आरोप लगाया कि जनपद में बहुत से ऐसे सफाई कर्मचारी हैं जो डीपीआरओ के सह पर बिना ड्यूटी के वेतन उठा रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि फरवरी माह में जिस हैलट नर्सिंग छात्रा निशा शुक्ला की हत्या कर दी गई थी। वह चैबेपुर में बतौर सफाई कर्मचारी तैनात थी। उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसे फर्जी कर्मचारियों के वेतन में व्यापक घोटाला किया जा रहा है जिसकी जांच दूसरे विभाग के अधिकारी से होना जरूरी है।